बृहस्पतिदेव की कथा योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥ जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई॥ हाथो में त्रिशूल लिए है गले में है सर्पो की माला मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥ देवो के हित विष https://jaibhole.co.in/home/Shree-Shiv-Chalisa
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